इस सोते हुए शैतान को फिर से,
किसी के लिए यह हिंदू है
किस के लिए मुस्लिम
अंजाने मैं सब खुश है,
क्योंकि इसका कोई चेहरा नहीं,
लोकतंत्र के नाम पर ,
पाप की इस धरती पर,
तुम्हे इस शैतान से ज़्यादा क्या मिलेगा
भूख, भय, हिंसा, और निरकुंश शासन
इसे लिप्सा है,
मेरे तुम्हारेखून की,
उन चमकते सिक्कों की,
जिनको चमकाया है मैने अपने पसीने से,
उस ताक़त की जिसे पाकर यह शैतान
अपने आप को कहेगा भगवान
अगले पाँच सालों तक.
मल्लिका
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